Thu. May 1st, 2025 11:09:47 AM

चलना हमारा काम है

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

गति प्रबल पैरों में भरी

फिर क्यों रहूँ दर दर खड़ा

जब आज मेरे सामने

है रास्ता इतना पड़ा

जब तक न मंज़िल पा सकूँ,

तब तक मुझे न विराम है, चलना हमारा काम है।

 

कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया

कुछ बोझ अपना बँट गया

अच्छा हुआ, तुम मिल गईं

कुछ रास्ता ही कट गया

क्या राह में परिचय कहूँ, राही हमारा नाम है,

चलना हमारा काम है।

 

जीवन अपूर्ण लिए हुए

पाता कभी खोता कभी

आशा निराशा से घिरा,

हँसता कभी रोता कभी

गति-मति न हो अवरुद्ध, इसका ध्यान आठो याम है,

चलना हमारा काम है।

 

इस विशद विश्व-प्रहार में

किसको नहीं बहना पड़ा

सुख-दुख हमारी ही तरह,

किसको नहीं सहना पड़ा

फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है,

चलना हमारा काम है।

 

मैं पूर्णता की खोज में

दर-दर भटकता ही रहा

प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ

रोड़ा अटकता ही रहा

निराशा क्यों मुझे? जीवन इसी का नाम है,

चलना हमारा काम है।

 

साथ में चलते रहे

कुछ बीच ही से फिर गए

गति न जीवन की रुकी

जो गिर गए सो गिर गए

रहे हर दम, उसीकी सफलता अभिराम है,

चलना हमारा काम है।

 

फकत यह जानता

जो मिट गया वह जी गया

मूँदकर पलकें सहज

दो घूँट हँसकर पी गया

सुधा-मिश्रित गरल, वह साकिया का जाम है,

चलना हमारा काम है।

-शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ 

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